तनाव के लक्षण हैं ये 5 शारीरिक संकेत, इन्हे कभी न करें नज़रअंदाज़

इस भाग दौड़ भरी जिंदगी का असर महिला एवं पुरुष दोनों के मानसिक स्वास्थ्य पर देखने को मिल रहा है। सोशल प्रेशर, वर्क प्रेशर, इमोशनल प्रेशर सहित कई ऐसे फैक्टर्स हैं जिनकी वजह से लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है। तनाव बढ़ने पर कई मानसिक, भावनात्मक यहां तक की कई शारीरिक लक्षण देखने को मिलते हैं। हालांकि, ज्यादातर लोग शरीर में होने वाली इन परेशानियों को नजरंदाज कर देते हैं, जिसकी वजह से आगे के समय में परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए स्ट्रेस यानी कि तनाव की स्थिति में नजर आने वाले शारीरिक लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है।

डॉक्टरों ने तनाव की स्थिति में नजर आने वाले कुछ कॉमन फिजिकल सिंपटॉम्स बताए हैं। यदि आपको भी बॉडी में यह लक्षण नजर आ रहे हैं, तो इन्हें कभी भी नजरअंदाज न करें। ये संकेत क्रॉनिक स्ट्रेस के हो सकते हैं। स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान देकर आप इन पर नियंत्रण पा सकते हैं।

यहां जानें तनाव की स्थिति में नजर आने वाले शारीरिक संकेत 

1. क्रैंप्स और दर्द
अत्यधिक तनाव की स्थिति में आपको मसल्स टेंशन का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में मांसपेशियों में क्रैंप्स आते हैं और बॉडी के तमाम हिस्सों में दर्द महसूस होता है। वहीं कई बार मांसपेशियां अकड़ जाती हैं, जिसकी वजह से नियमित दिनचर्या की गतिविधियों को करना मुश्किल हो जाता है। यदि आप भी किसी बात से परेशान हैं और आपके बॉडी में यह लक्षण नजर आ रहे हैं, तो फौरन स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान दें।

2 . एक्ने
यदि आपको यह लगता है कि एक उम्र के बाद एक्ने की समस्या नहीं होती तो ऐसा नहीं है। कई ऐसे कारण हैं, जिसकी वजह से हार्मोंस असंतुलित हो सकते हैं और एक्ने आपको परेशान कर सकते है, उनमें से एक है स्ट्रेस। तनाव की स्थिति में कॉर्टिसोल के स्तर में बदलाव आता है, साथ ही साथ शरीर के कई अन्य हार्मोन भी असंतुलित हो जाते हैं। जिसकी वजह से स्किन अधिक ऑयल प्रोड्यूस करती है और एक्ने ब्रेकआउट जैसी समस्या आपको परेशान कर सकती हैं।

3. थकान महसूस होना
तनाव की स्थिति में मेंटल एनर्जी बर्बाद होती है, साथ ही साथ व्यक्ति अधिक नर्वस और चिंतित रहता है। यह सभी फैक्टर मानसिक थकान का एक बड़ा कारण है। वहीं मानसिक थकान की वजह से व्यक्ति को शारीरिक रूप से भी थका हुआ महसूस होता है।

4 . फ्लू जैसे लक्षण
तनाव की स्थिति में शरीर एड्रीनलीन हारमोंस रिलीज करती है। यह एक प्रकार का हार्मोन है जो शरीर को खतरे का संकेत देता है। जिससे बचने के लिए शरीर खुद को प्रिपेयर करना शुरू कर देती है। इस स्थिति में जी मचलना, कमजोरी, चक्कर आना और वोमिटिंग जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

5. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम
आपकी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम में तमाम नर्वस होती हैं, जो ब्रेन के साथ कम्युनिकेट करती हैं। इस स्थिति में तनाव के दौरान जब मेंटल प्रेशर बढ़ता है, तो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं जैसे कि कांसेपशियन, डायरिया और जी मचलने जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। हर व्यक्ति तनाव में अलग-अलग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का सामना करता है।

ये शारीरिक लक्षण भी नजर आ सकते हैं
कुछ स्थिति में तनाव के लंबे समय तक बने रहने की वजह से कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं। जैसे की बालों का सफेद होना और बाल झड़ना। इसके अलावा अत्यधिक सिर दर्द का अनुभव, इतना ही नहीं बहुत से लोगों में हृदय संबंधी समस्याएं जैसे कि ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, स्ट्रोक आदि का खतरा बढ़ जाता है। वहीं यदि महिलाएं अधिक तनाव में रहती हैं, तो पीरियड्स मिस होने की संभावना बढ़ जाती है। बहुत से लोगों में अचानक से वेट गेन और वेट लॉस की समस्या भी देखने को मिलती है।

जानें कैसे पाया जा सकता है तनाव पर नियंत्रण
तनाव पर नियंत्रण पाना आसान नहीं है, परंतु ऐसा नहीं कि आप अपनी स्थिति के लिए कुछ भी नहीं कर सकते। आपकी थोड़ी सी मेहनत आपको गंभीर समस्याओं का शिकार होने से बचा सकती है। सबसे जरूरी है तनाव के ट्रिगर्स को पहचानना, देखें कि आखिर कौन सी ऐसी चीज है जो आपको तनाव ग्रस्त कर रही है और उन पर काम करना शुरू करें। इसके अलावा हेल्दी और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें, इससे शरीर में जरूरी पोषक तत्व बरकरार रहते हैं और मेंटल हेल्थ बूस्ट होती है। ऐसे में आपको छोटी-छोटी चीजें परेशान नहीं करती।

साथ ही साथ उन लोगों के साथ और उन चीजों को करने में वक्त बताएं जिसे आपको खुशी मिलती हो। यदि आप लंबे समय से तनाव में हैं, तो आपके लिए अपनी खुशियों को प्राथमिकता देना जरूरी है। नींद की गुणवत्ता में सुधार करें, और 7 से 8 घंटे की उचित नींद लेने से तनाव का खतरा काफी हद तक काम हो जाता है। इसके अलावा शारीरिक रूप से जितना हो सके उतना सक्रिय रहने का प्रयास करें, क्योंकि शारीरिक स्थिरता भी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक सही डालती है।

योग, मेडिटेशन आदि जैसी रिलैक्सिंग टेक्निक्स में पार्टिसिपेट करें। इससे मन को शांत करने में मदद मिलेगी और यदि आपकी स्थिति बिगड़ती जा रही है और आप इस पर नियंत्रण नहीं पा रही हैं, तो ऐसे में अपने नजदीकी डॉक्टर से मिल सलाह लेना उचित रहेगा।

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