नौकरी पेशा लोगों के लिए पीएफ का पैसा निकालना सबसे बड़ी सिरदर्दी का काम होता है. अब तक पीएफ का पैसा निकालने के लिए कई तरह के झंझटों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन, अब आप आसानी से एटीएम के जरिए अपने पीएफ का पैसा निकाल पाएंगे. श्रम सचिव सुमिता डावरा ने इस सुविधा से जुड़ी बड़ी जानकारी दी है.
कब से निकलेगा ATM से PF का पैसा
अगले साल यानी सिर्फ एक महीने बाद से ही कर्मचारी अपने भविष्य निधि यानी पीएफ से एटीएम के द्वारा पैसा निकाल पाएंगे. श्रम सचिव सुमिता डावरा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि 2025 की शुरुआत से पीएफ खाताधारक अपने पीएफ की रकम सीधे एटीएम से निकाल सकेंगे. यह कदम देश की बड़ी वर्कफोर्स को बेहतर सेवा देने और प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में उठाया गया है.
सुमिता डावरा ने क्या कहा
सुमिता डावरा ने कहा, “हम पीएफ क्लेम्स को तेजी से निपटा रहे हैं और ईज ऑफ लिविंग बढ़ाने के लिए प्रक्रिया को और सरल बना रहे हैं. अब पीएफ निकासी के लिए कम से कम मानवीय हस्तक्षेप (humanitarian intervention) की जरूरत होगी और सब्सक्राइबर्स अपने क्लेम का पैसा एटीएम के जरिए निकाल सकेंगे.”
एटीएम से निकासी केवल उन मामलों में होगी, जहां कर्मचारी ने आंशिक निकासी के लिए आवेदन किया हो. वर्तमान में, कर्मचारी विशेष परिस्थितियों में ही पीएफ का पैसा निकाल सकते हैं. इसके लिए EPFO की वेबसाइट या उमंग ऐप के जरिए क्लेम सबमिट किया जाता है.
2025 से बड़े बदलाव की उम्मीद
श्रम सचिव ने कहा कि ईपीएफओ के आईटी सिस्टम को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है. हर 2-3 महीने में आपको सुधार दिखेगा. जनवरी 2025 से हमें एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, जब ईपीएफओ का आईटी सिस्टम बैंकिंग सिस्टम के स्तर पर पहुंचेगा. आपको बता दें, वर्तमान में ईपीएफओ में 7 करोड़ से अधिक सक्रिय योगदानकर्ता हैं.
गिग वर्कर्स को मिलेगा फायदा
श्रम मंत्रालय गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए भी सोशल सिक्योरिटी के फायदे लाने की तैयारी कर रहा है. डावरा ने बताया कि इस योजना की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है और इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है. यह योजना मेडिकल हेल्थ कवरेज, पीएफ और विकलांगता की स्थिति में फाइनेंशियल हेल्प जैसे लाभ प्रदान कर सकती है. गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी लाभ देने के लिए एक समिति भी गठित की गई है.
बेरोजगारी दर में भी गिरावट
श्रम सचिव ने बताया कि देश में बेरोजगारी दर में काफी कमी आई है. उन्होंने कहा, “2017 में बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है. इसके साथ ही, श्रमबल भागीदारी और वर्कर पार्टिसिपेशन रेश्यो भी बढ़ रहा है, जो अब 58 प्रतिशत तक पहुंच गया है.”