महाकवि तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस में एक छंद वर्णन किया गया है, जिसमें उन्होंने पंचवटी धाम की चर्चा की थी. तुलसीदास जी ने लिखा है “हे प्रभु परम मनोहर ठाऊं। पावन पंचबटी तेहि नाऊं॥” नासिक में स्थित पंचवटी क्षेत्र का प्रभु श्रीराम से विशेष संबंध है. इस धाम में कालाराम मंदिर के दर्शन होते हैं, जिनकी गणना पंचवटी धाम के प्रमुख मंदिरों में होती है. पवित्र गोदावरी नदी के तट पर स्थापित नासिक में पंचवटी धाम है, जहां 14 वर्षों के वनवास के दौरान प्रभु श्री राम, माता सीता और उनके छोटे भाई लक्ष्मण जी ने कुछ समय पर्णकुटी में निवास किया था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वनवास के दौरान इसी स्थान पर प्रभु श्री राम और माता जानकी की कुटिया थी. सतयुग में इस स्थान को दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था.
कालाराम मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब प्रभु श्री राम वनवास के दौरान पंचवटी आए थे तब ऋषि मुनियों ने उनसे यह प्रार्थना की थी कि वह उन्हें राक्षसों के प्रकोप से मुक्त कराएं. तब श्री राम ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए, काला रूप धारण किया और उन राक्षसों से मुक्ति दिलाई थी. आज भी मंदिर के गर्भ गृह में श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की काले रंग की मूर्ति विराजमान हैं.
कब हुआ था कालाराम मंदिर का निर्माण?
बताया जाता है की पंचवटी क्षेत्र में निवास कर रहे साधुओं को अरुणा-वरुणा नदी से श्रीराम की प्रतिमा प्राप्त हुई थी. इसके बाद उन्होंने लकड़ी से बने मंदिर में भगवान श्री राम की मूर्ति को स्थापित किया था और वहीं उनकी उपासना की जाती थी. वर्ष 1782 में सरदार रंग राव ओढेकर ने पुराने लकड़ी से बने मंदिर के स्थान पर पक्के मंदिर का निर्माण करवाया था. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 12 वर्षों तक चला था, जिसमें प्रतिदिन 2000 से अधिक कारीगर और अन्य लोगों का योगदान था.
पंचवटी क्षेत्र से जुड़ी कुछ खास बातें
14 वर्षों के वनवास के दौरान प्रभु श्री राम ने पंचवटी में कुछ समय निवास किया था. रामायण कथा के अनुसार, इसी स्थान पर रावण की बहन शूर्पणखा ने श्री राम और लक्ष्मण जी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा और माता सीता को मारने का प्रयास किया था, जिसके बाद लक्ष्मण जी ने शूर्पनखा की नाक काट दी थी. इसी बात का बदला लेने के लिए रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था. पंचवटी में भगवान विष्णु को समर्पित सुंदर नारायण मंदिर है, जिससे कुछ दूरी पर सीता गुफा है, जिसमें भगवान श्री राम, माता जानकी और लक्ष्मण जी की मूर्तियां स्थापित है. मान्यता है कि दंडकारण्य से गुजरने के दौरान माता सीता इसी गुफा में रुकी थीं.