कांग्रेस ने साधा भाजपा पर निशाना, जयराम बोले- क्या प्रधानमंत्री ने त्रिपुरा के लिए ‘धोखा दो और राज करो’ की नीति अपनाई है?

नई दिल्ली। कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि भाजपा शासित त्रिपुरा में बड़े पैमाने पर राजनीतिक हिंसा हो रही है। इस दौरान कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठाया।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अगरतला में अपनी लोकसभा चुनाव रैली से पहले प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए पूछा कि क्या उन्होंने त्रिपुरा के लिए “धोखा दो और राज करो” की नीति अपनाई है।

रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में पूछा, त्रिपुरा जाते समय प्रधानमंत्री से आज के प्रश्न- क्या प्रधानमंत्री त्रिपुरा में भाजपा की व्यापक राजनीतिक हिंसा को स्वीकार करते हैं? क्या प्रधानमंत्री ने त्रिपुरा के लिए भी झांसा दो और राज करो की नीति अपनाई है?

उन्होंने पूछा, त्रिपुरा में बाल कुपोषण को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री का क्या दृष्टिकोण है? 2 अप्रैल को, कांग्रेस के एक प्रचार वाहन को भाजपा सहयोगियों के एक समूह ने जबरदस्ती जब्त कर लिया।

त्रिपुरा में हो रही राजनीतिक हिंसा

रमेश ने अपने पोस्ट में आरोप लगाया कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ड्राइवर को बृंदा चौमुहानी के पास के जंगल में ले जाया गया, जहां हमलावरों ने वाहन में पूरी तरह से तोड़फोड़ की और उसके सभी पोस्टर, झंडे और बैनर में आग लगा दी।

उन्होंने दावा किया कि दुख की बात है कि 2018 में त्रिपुरा में सत्ता में आने के बाद से भाजपा द्वारा की गई राजनीतिक हिंसा की यह नई घटना है।

रमेश ने कहा कि रिपोर्टों से पता चलता है कि पिछले छह वर्षों में लगभग 25 विपक्षी पार्टी कार्यकर्ताओं की “हत्या” की गई है। उन्होंने कहा, अकेले 2021 में, त्रिपुरा में राजनीतिक हिंसा के 64 मामले सामने आए, जिसमें 136 लोग घायल हुए थे।

भाजपा की हरकते लोकतांत्रिक मूल्यों पर करती है प्रहार- रमेश

रमेश ने पूछा, भाजपा की हरकतें हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के मूल पर प्रहार करती हैं। क्या प्रधानमंत्री यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ कर रहे हैं कि अपराधियों को उनके कार्यों का परिणाम भुगतना पड़े? क्या उनकी चुप्पी इस हिंसा को मौन स्वीकृति है?

उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में 2023 विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में, भाजपा ने ग्रेटर टिपरालैंड के मुद्दे पर त्रिपुरा के आदिवासी समुदायों से अस्पष्ट वादे किए हैं।

उन्होंने बताया कि घोषणापत्र में कहा गया है कि वे “आदिवासी परिषद को विधायी, अधिक कार्यकारी और प्रशासनिक शक्तियां” देने के लिए कदम उठाएंगे।

यह देखते हुए कि केंद्र ने 2024 में राज्य सरकार और टिपरा मोथा के साथ एक “त्रिपक्षीय समझौते” पर हस्ताक्षर किए थे, रमेश ने कहा कि समझौते ने “समयबद्ध तरीके से” स्वदेशी लोगों के सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने का जानबूझकर अस्पष्ट वादा किया था।

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