कारगिल की शहादत को देश कर रहा सलाम, जानिए क्या हुआ था 25 साल पहले, जो मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस

आजादी के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच वैसे तो 3 युद्ध हो चुके हैं। पहला 1965, दूसरा 1971 और तीसरा 1999 में। लेकिन सबसे भयानक और लंबा चलने वाला युद्ध था कारगिल वार जो 1999 में हुआ था। भारत ने पाक के खिलाफ तीनों युद्ध जीते हैं। लेकिन कारगिल विजय दिवस कारगिल युद्ध में भारत की जीत, भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि और उनकी वीरता को नमन करने के लिए मनाया जाता है। ये दिन भारतीय सेना के हर उस जवान को समर्पित है, जिन पर हर हिंदुस्तानी को गर्व है।

कारगिल युद्ध का कोड नेम क्या था?

1999 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कारगिल सेक्टर से पाकिस्तानियों को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना की कार्यवाही को ‘ऑपरेशन विजय’ नाम दिया गया था। वहीं, कारगिल वॉर में टोलोलिंग टॉप को कब्जे से छुड़ाने गई भारतीय सेना को तीन टुकड़ियों में बांटा गया था। इन्हें नाम दिए गए थे- अभिमन्यु, भीम और अर्जुन।

कारगिल का पुराना नाम क्या था?

कारगिल जिला लद्दाख के अंतर्गत आता है। हालांकि जब युद्ध हुआ था तब, लद्दाख समेत ये पूरा इलाका जम्मू-कश्मीर के अंतर्गत आता था। मौजूदा कारगिल जिले का अधिकांश भाग कभी पुरीग के नाम से जाना जाता था।

26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस क्यों मनाते हैं?

भारत के लिए 26 जुलाई, 1999 की तारीख बेहद खास है। यही वो तारीख है जब भारतीय सेना के वीर जवानों ने टाइगर हिल, प्वाइंट 4875, प्वाइंट 5140 समेत सभी पहाड़ी चोटियों को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से आजाद करा कर कारगिल युद्ध जीत लिया था। ये तारीख भारत की पाकिस्तान पर जीत और हमारे जवानों की बहादुरी की गाथाओं का प्रतीक है।

कारगिल युद्ध क्यों शुरू हुआ था?

यह जंग तब शुरू हुई जब पाकिस्तानी सेना ने कश्मीरी आतंकवादियों के रूप में, नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करके भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। LOC विवादित कश्मीर क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक सीमा का काम करती है। पाकिस्तानी सेना ने रणनीतिक बनाकर महत्वपूर्ण ठिकानों पर कब्जा करने की कोशिश की थी।

कारगिल युद्ध के समय भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?

जब कारगिल युद्ध हुआ था, उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। युद्ध जीतने के बाद उन्होंने ऑपरेशन विजय सफल होने का ऐलान किया था। ये भी बताया था कि भारत सरकार ने पाकिस्तान से बातचीत के लिए शर्तें रखी हैं। वहीं, इस युद्ध के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे।

कारगिल वॉर में किस देश ने भारत की मदद की थी?

बताया गया है कि कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल ने भारत की मदद की थी। Isreal ने गाइडेड एम्युनिशन और ड्रोन समेत अन्य मिलिट्री सप्लाय और इक्विपमेंट देकर भारतीय सेना की मदद की थी।

कारगिल युद्ध कितने दिन चला था?

नेशनल वॉर मेमोरियल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कारगिल का युद्ध करीब 3 महीने तक चला था। कारगिल युद्ध की शुरुआत मई 1999 में हुई थी। इस दौरान 527 भारतीय सैनिकों ने देश के लिए बलिदान दे दिया। कारगिल शहीदों में से 4 को परमवीर चक्र, 10 को महावीर चक्र और 70 को उनके साहस के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

कारगिल युद्ध कौन जीता था?

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में हुए कारगिल वॉर में भारत की जीत हुई थी। लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पास कर भारत में घुस आए पाकिस्तान ने हमला शुरू किया था। लेकिन, हमारी इंडियन आर्मी ने साहस का अदम्य परिचय देते हुए पाकिस्तानियों को धूल चटा दी थी।

कारगिल युद्ध के जाबांजो के बारें में जानें

यह दिवस हमारे वीर सैनिकों के असीम प्रेम और बलिदान को दर्शाता है. देश के बहादुर सैनिकों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपनी असाधारण वीरता का परिचय देते हुए देश के लिए शहीद हो गए, यहां हम ऐसे ही कुछ वीर सपूतों की बात करने जा रहे है-

कैप्टन विक्रम बत्रा (13 जेएके राइफल्स)
कारगिल युद्ध की जब भी चर्चा होगी तब कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम बहुत ही गर्व के साथ लिया जायेगा जिन्होंने चोटिल होने के बावजूद अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए पॉइंट 4875 कब्जा किया. इस दौरान उनका नारा ‘ये दिल मांगे मोर!’ खूब चर्चा में रहा था. उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया.

लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे (1/11 गोरखा राइफल्स)
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे ने भी कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनकी बहादुरी, वीरता और प्रेरणादायक नेतृत्व को मान्यता देते हुए उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया था.

राइफलमैन संजय कुमार (13 जेएके राइफल्स)
संजय कुमार ने पॉइंट 4875 पर कब्जा करने में अहम रोल अदा किया था, घायल होने के बावजूद भी वह वीरता से लड़ते रहे. उनके अदम्य साहस का सम्मान करते हुए परम वीर चक्र से नवाजा गया है.

सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता
सूबेदार मेजर (मानद लेफ्टिनेंट) योगेंद्र सिंह यादव को, जिनकी उम्र केवल 19 वर्ष थी. उनकी वीरता का विशिष्ट कार्य 04 जुलाई 1999 को हुआ जब उन्होंने 18 ग्रेनेडियर्स के घातक कमांडो प्लाटून का स्वेच्छा से नेतृत्व किया, उन्हें टाइगर हिल पर तीन रणनीतिक बंकरों पर कब्जा करने का काम सौंपा गया था. 15 गोलियां लगने के बावजूद वह अपने दल के साथ आगे बढ़ें और टाइगर हिल पर कब्जा जमाया. उनकी अद्वितीय वीरता के लिए देश के सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. उन्होंने अपने अदम्य साहस से 18 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट को टाइगर हिल के महत्वपूर्ण हिस्सों पर कब्ज़ा दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह इस सम्मान को प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के वीर हैं.

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