दिल्ली: लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार को नए सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाल लिया। द्विवेदी ने जनरल मनोज सी पांडे की जगह ली। इससे पहले उपेंद्र द्विवेदी उप सेना प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे थे। केंद्र सरकार ने 11 जून को लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को नए सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की थी। इस दौरान सेना प्रमुख ने कहा कि मेरे लिए ये अत्यंत गर्व और सम्मान का अवसर है कि मुझे भारतीय थलसेना का नेतृत्व करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। भारतीय सेना के गौरवशाली परंपरा हमारे सैनिकों के बलिदान और योगदान की बुनियाद पर आधारित है। इस पर मैं उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने कर्तव्य पथ पर अपने प्राणों की आहुति दी है। आज भारतीय थलसेना आधुनिकीकरण के पद पर अग्रसर है। इस दिशा में आत्मनिर्भरता को पूर्णता हासिल करने के लिए भारत सेना हमेशा तैयार है। मैं देश और भारतीय नागरिकों को विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय सेना हर चुनौती का सामना के लिए पूर्णता तैयार है।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नए सेना प्रमुख का पदभार संभालने के बाद अपने भाई और अन्य रिश्तेदारों के पैर छुए। इससे पहले जनरल द्विवेदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्होंने कल 30 जून को जनरल मनोज पांडे से सेनाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था। वे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक भी गए, जहां उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित की।
उनका जन्म के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ है। मां हाउस वाइफ रही हैं। वहीं, उनके पिता माइनिंग अफसर रहे हैं। तीन भाइयों में जनरल उपेंद्र द्विवेदी सबसे छोटे हैं। उनका पैतृक गांव रीवा जिले के गढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत मुड़िला है। शुरुआती दिनों में इनके माता-पिता यही रहते थे। हालांकि अब गांव में इनके परिवार के लोग नहीं रहते हैं। नौकरी की वजह से सभी अलग-अलग शहरों में रहते हैं। वहीं, इनका ननिहाल रीवा जिले के लालगांव में है। आर्मी चीफ बनने के बाद दोनों ही जगह पर खुशी की लहर है। लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी के पिता श्रीकृष्ण द्विवेदी माइनिंग अफसर और मां मानवती गृहिणी थीं।
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी का 1 जुलाई, 1964 को हुआ जन्म
1 जुलाई, 1964 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को 15 दिसंबर, 1984 को भारतीय सेना की इन्फैंट्री (जम्मू और कश्मीर राइफल्स) में कमीशन मिला था। लगभग 40 वर्षों की अपनी लंबी और प्रतिष्ठित सेवा के दौरान वह विभिन्न कमानों, स्टाफ, प्रशिक्षण संबंधी और विदेशी नियुक्तियों में कार्यरत रहे हैं।
द्विवेदी को 1984 में 18 जम्मू कश्मीर राइफल्स में कमीशन दिया गया था। इसके बाद उन्होंने इसी यूनिट की कमान भी संभाली। जनरल द्विवेदी को उत्तरी और पश्चिमी दोनों थियेटरो को संतुलित करने का गौरव प्राप्त है। उपेंद्र द्विवेदी ने उत्तरी कमांडर के रूप में आतंकवाद विरोधी अभियानों को संचालित करने में अहम भूमिका निभाई।
लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी की कमांड नियुक्तियों में रेजिमेंट (18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स), ब्रिगेड (26 सेक्टर असम राइफल्स), महानिरीक्षक, असम राइफल्स (पूर्व) और 9 कोर की कमान शामिल हैं। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने सेना उपप्रमुख के रूप में नियुक्ति से पूर्व 2022-2024 तक महानिदेशक इन्फैंट्री और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (मुख्यालय उत्तरी कमान) सहित महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।
उपेंद्र द्विवेदी को इसी साल 15 फरवरी को उप सेना प्रमुख नियुक्त किया गया
द्विवेदी इसी साल 15 फरवरी को उप सेना प्रमुख नियुक्त किए गए थे। उन्होंने ऑपरेशन रक्षक के दौरान चौकीबल में एक बटालियन की कमान संभाली थी। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के पास चीन और पाकिस्तान की ओर से उत्पन्न चुनौतियों की गहरी समझ है, क्योंकि वह उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफके रूप में अपने दो साल तक जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
यहां से उपेंद्र द्विवेदी ने की पढ़ाई
सैनिक स्कूल रीवा, नेशनल डिफेंस कॉलेज और यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के पूर्व छात्र लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने डीएसएससी वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज, महू में भी पढ़ाई की है। इसके अलावा, लेफ्टिनेंट जनरल को यूएसएडब्ल्यूसी, कार्लिस्ले, यूएसए में प्रतिष्ठित एनडीसी समकक्ष कोर्स में ‘विशिष्ट फेलो’ से सम्मानित किया जा चुका है। द्विवेदी ने रक्षा और प्रबंधन अध्ययन में एम फिल और सामरिक अध्ययन एवं सैन्य विज्ञान में दो स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की हैं। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक (पीवीएसएम), अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) और तीन जीओसी-इन-सी प्रशस्ति पत्र से भी सम्मानित किया गया है।
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी का छत्तीसगढ़ से भी नाता रहा है। अंबिकापुर के देवीगंज रोड स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से उन्होंने पांचवीं की पढ़ाई की थी। यहीं से उनका चयन सैनिक स्कूल रीवा के लिए हुआ था। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को नजदीक से जानने वाले उनके साथ बिताए दिनों को याद कर गौरवांवित हैं।