नई दिल्ली। देश के बड़े उद्योगपति पद्म विभूषण रतन टाटा का स्वर्गवास हो गया। उन्होंने 86 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज चल रहा था। हालांकि, मंगलवार दोपहर रतन टाटा ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी थी कि वह ठीक हैं और पोस्ट में लिखा था कि वो अस्पताल में रुटीन चैकअप के लिए गए थे। उन्होंने कहा कि मेरी चिंता करने के लिए सभी का धन्यवाद, लेकिन मैं एक दम ठीक हूं। चिंता की कोई बात नहीं है। टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने एक बयान में रतन टाटा के निधन की पुष्टि की और उन्हें अपना ‘मित्र और मार्गदर्शक बताया. पिछले कुछ दिनों से वह दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे.
28 दिसंबर 1937 को हुआ था जन्म
देश की जानी मानी हस्ती रतन टाटा को भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) से भी सम्मानित किए जा चुका है। रतन टाटा का जन्म ब्रिटिश राज के दौरान बॉम्बे (अब मुंबई) में 28 दिसंबर 1937 को एक पारसी परिवार में हुआ था।
अरबपति हर्ष गोयनका ने भी रतन टाटा के निधन पर दुख जताया और ‘एक्स’ पर एक पोस्ट कर उन्हें ‘‘टाइटन’’ (अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति) करार दिया. रतन टाटा की मौत के बाद भारतीय मीडिया ही नहीं बल्कि विदेशी मीडिया ने भी निधन से जुड़ी खबर को प्रमुखता से छापा है. वो विश्वभर में प्रसिद्ध आदमी थे. पूरी दुनिया के लोग उन्हें उनके कामों की वजह से जानते थे.
रतन टाटा के संबंध में न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि भारत के सबसे शक्तिशाली और प्रशंसनीय दिग्गजों में से एक रतन टाटा का निधन हो गया. उन्होंने टाटा समूह को विश्व स्तर पर पहचाने जाने वाले ब्रांड में बदलकर रख दिया था. 1991 से 2012 तक अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी के रूप में उनके 21 वर्षों के दौरान टाटा समूह का मुनाफा 50 गुना बढ़ गया. इसमें सबसे ज्यादा योगदान जगुआर, लैंड रोवर और टेटली चाय जैसे प्रसिद्ध टाटा उत्पादों की बिक्री से आया, जिसकी विदेशों में भारी मांग है.
विदेशी मीडिया ने रतन टाटा की निधन पर क्या कुछ कहा?
लंदन की विश्व विख्यात न्यूज कंपनी BBC ने भी रतन टाटा की मौत पर जानकारी दी, जिसमें ब्रिटेन के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स द्वारा कही गई बातों को शामिल किया गया है. रेनॉल्ड्स कहते हैं कि रतन टाटा व्यापार जगत के दिग्गज थे जिन्होंने ब्रिटिश उद्योग को आकार देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी.
वहीं रॉयटर्स ने भी रतन टाटा की मृत्यु से जुड़ी जानकारी साझा की. रतन टाटा की निधन की जानकारी के अलावा उनके लाइफ के बारे में कई तरह की बातें बताई. उन्होंने लिखा कि टाटा कॉर्नेल विश्वविद्यालय में आर्किटेक्ट की डिग्री की पढ़ाई की थी. इसके बाद वो भारत लौट आए. उन्होंने 1962 से समूह के लिए काम करना शुरू किया जिसकी स्थापना उनके परदादा ने लगभग एक सदी पहले की थी. कई टाटा कंपनियों में काम किया, जिनमें टेल्को, टाटा मोटर्स लिमिटेड (TAMO.NS) शामिल थे.
अल जजीरा लिखता है कि टाटा समूह में 100 से ज्यादा बड़ी कंपनी शामिल है. इसमें भारत की सबसे बड़ी वाहन निर्माता, इस्पात कंपनी और एक प्रमुख आउटसोर्सिंग फर्म शामिल है. ये कंपनी दुनिया भर में 350,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं. टाटा ने ही भारत में कॉर्मशियल फ्लाइट्स की शुरुआत की जब उन्होंने 1932 में एयर इंडिया नाम की एयरलाइन लॉन्च की.
रतन टाटा ने उड़ाया अमेरिका का जेट फाइटर F-16
रतन टाटा को एक सफल बिजनेसमैन के तौर पर तो दुनिया जानती है, लेकिन यह बात कम लोगों को ही पता होगी कि वह F-16 फाल्कन फाइटर जेट उड़ाने वाले पहले भारतीय नागरिक हैं. उन्होंने बैंगलोर में आयोजित एयरशो में 400 करोड़ रुपये के F-16 ब्लॉक 50 फाइटर जेट को उड़ाया था.
साल 2007 में हुई इस घटना का वीडियो जिसने भी देखा रोमांच से भर उठा. इस वीडियो ने लाखों लोगों को रोमांचित कर दिया था. रतन टाटा F-16 जेट प्लेन में बतौर को-पायलट मौजूद थे और इसे पॉल हेटनडॉर्फ कमांड कर रहे थे. उड़ान के समय इस जेट की स्पीड 2000 किलोमीटर प्रति घंटे थी.
रतन टाटा ने आसमान में 2 हजार किलोमीटर की स्पीड के साथ करीब 40 मिनट तक समय बिताया. उन्होंने एक समय जेट का कंट्रोल भी अपने हाथ में ले लिया था. वापस आने के बाद उन्होंने अनुभव साझा किए और कहा, ‘यह जबरदस्त था.’
फाइटर प्लेन उड़ाने के करीब 10 साल बाद रतन टाटा ने F-16 बनाने वाली अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन से एक समझौता किया. इसके तहत F-16 ब्लॉक 70 फाइटर प्लेन को भारत में ही बनाना शुरू कर दिया. यह बताता है कि रतन टाटा कितने दूरदर्शी और बिजनेस ओरिएंटेड व्यक्तित्व के धनी हैं.
F-16 फाइटर प्लेन को भारत में बनाने से अमेरिका में भी नई नौकरियां पैदा होंगी तो भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की जॉब आएंगी. इसके अलावा भारत दुनिया को सबसे सफल फाइटर प्लेन की सप्लाई करने में सक्षम हो जाएगा. भारत का निर्यात भी तेजी से बढ़ेगा.
लॉकहीड मार्टिन ने अब तक 4,500 F-16 फाइटर प्लेन बनाए हैं. इसमें से करीब 3,200 आज भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं. इन विमानों को दुनिया के 26 देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है. F-16 को दुनिया का सबसे सफल लड़ाकू विमान माना जाता है, जो मल्टी रोल निभाने में सक्षम है.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रतन टाटा एक अच्छे पायलट भी हैं. उन्हें पायलट का लाइसेंस भी मिल चुका है. हालांकि, फाइटर जेट उड़ाने का प्रशिक्षण तो नहीं है उनके पास, लेकिन पायलट का लाइसेंस होने की वजह से उन्हें विमान उड़ाने का तर्जुबा जरूर है.
उनसे जुड़ी ये अहम बातें
1937: रतन टाटा का जन्म सूनू और नवल टाटा के घर हुआ।
1955: 17 साल की उम्र में कॉर्नेल विश्वविद्यालय (इथाका, न्यूयॉर्क, यूएसए) के लिए गए; सात वर्ष की अवधि में वास्तुकला और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
1962: वास्तुकला में स्नातक की डिग्री हासिल की।
1962: टाटा इंडस्ट्रीज में सहायक के रूप में टाटा समूह में शामिल हुए; बाद में टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी (जिसे अब टाटा मोटर्स कहा जाता है) के जमशेदपुर संयंत्र में छह महीने की ट्रेनिंग ली।
1963: ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी, या टिस्को (जिसे अब टाटा स्टील कहा जाता है) में चले गए।
1965: टिस्को के इंजीनियरिंग सेक्शन में टेक्निकल ऑफिसर नियुक्त हुए।
1969: ऑस्ट्रेलिया में टाटा समूह के निवासी प्रतिनिधि के रूप में काम किया।
1970: भारत लौटे, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में शामिल हुए, जो उस समय एक सॉफ्टवेयर कंपनी थी।
1971: नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स (जिसे नेल्को के नाम से जाना जाता है) के प्रभारी निदेशक नियुक्त किए गए, जो एक बीमार इलेक्ट्रॉनिक्स उद्यम था।
1974: टाटा संस के बोर्ड में निदेशक के रूप में शामिल हुए।
1975: हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
1981: टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष नियुक्त किए गए; इसे उच्च-प्रौद्योगिकी व्यवसायों के प्रमोटर में बदलने की प्रक्रिया शुरू की।
1983: टाटा रणनीतिक योजना का मसौदा तैयार किया।
1986-1989: राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
25 मार्च, 1991: जेआरडी टाटा से टाटा संस के अध्यक्ष और टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष का पदभार संभाला।
1991: टाटा समूह का पुनर्गठन ऐसे समय में शुरू किया गया जब भारतीय अर्थव्यवस्था का उदारीकरण चल रहा था।
2000 के बाद टाटा समूह के विकास और वैश्वीकरण अभियान ने उनके नेतृत्व में गति पकड़ी और नई सेंचुरी में कई हाई-प्रोफाइल अधिग्रहण हुए, जिनमें टेटली, कोरस, जगुआर लैंड रोवर, ब्रूनर मोंड, जनरल केमिकल इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और देवू शामिल हैं।
2008: टाटा नैनो को लॉन्च किया, जो उस अग्रणी छोटी कार परियोजना से पैदा हुई थी जिसका उन्होंने जोश और दृढ़ संकल्प के साथ मार्गदर्शन और कमान संभाली थी।
2008: भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
दिसंबर 2012: टाटा समूह के साथ 50 साल बिताने के बाद टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटे; टाटा संस के मानद अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
अक्टूबर 2024: टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
कुत्तों से था खास लगाव
86 साल की उम्र में अंतिम सांस लेने वाले रतन टाटा का दिल आखिरी समय तक कुत्तों के लिए धड़कता रहा। जिन सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को लोग हीन भावना की नजर से देखते है या इग्नोर करते है, उन कुत्तों के लिए रतन टाटा किसी भगवान से कम नहीं थे। यहां तक की उनके ताज होटल के दरवाजे भी कुत्तों के लिए हमेशा खुले रहते थे।
इन दिग्गज ब्रांड्स का मालिक है टाटा ग्रुप
टाटा ग्रुप (Tata Group companies) कई दिग्गज ब्रांड्स का मालिक है. टाटा ग्रुप के प्रमुख ब्रांड्स में एयर इंडिया, टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाटा नमक, टाटा चाय, जगुआर लैंड रोवर, टाइटन, फास्ट्रैक,तनिष्क, स्टारबक्स, वोल्टास, ज़ारा, वेस्टसाइड ,कल्टफिट,टाटा एआईजी, टाटा एआईए लाइफ, टाटा प्ले,टाटा वनएमजी और टाटा कैपिटल जैसे नाम शामिल हैं.
अमेरिका में प्यार फिर ऐसे बिगड़ी बात
रतन टाटा ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें प्यार हुआ था, लेकिन वो अपनी मोहब्बत को शादी के अंजाम तक नहीं पहुंचा सके. उन्होंने कहा था कि शादी न करने का फैसला उनके लिए ठीक साबित हुआ, क्योंकि अगर उन्होंने शादी कर ली होती तो स्थिति काफी जटिल होती. उन्होंने इंटरव्यू में कहा था कि, ‘अगर आप पूछें कि क्या मैंने कभी दिल लगाया था, तो आपको बता दूं कि मैं चार बार शादी करने के लिए गंभीर हुआ और हर बार किसी न किसी डर से मैं पीछे हट गया. अपने प्यार के दिनों के बारे में टाटा ने कहा, जब मैं अमेरिका में काम कर रहा था, तो शायद मैं प्यार को लेकर सबसे ज्यादा सीरियस हो गया था और हम केवल इसलिए शादी नहीं कर सके, क्योंकि मैं वापस भारत आ गया.’
भारत नहीं आना चाहती थी रतन टाटा की प्रेमिका
Ratan Tata की लव लाइफ दिलचस्प रही थी और उनकी प्रेमिका भारत नहीं आना चाहती थीं. उसी वक्त भारत-चीन का युद्ध भी छिड़ा हुआ था. आखिर में उनकी प्रेमिका ने अमेरिका में ही किसी और से शादी कर ली. इसके बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान टाटा ग्रुप पर लगाया और समूह की कंपनियों को आगे बढ़ाने पर काम किया. उनके नेतृत्व में ग्रुप का कारोबार तेजी से बढ़ा और दुनियाभर में इसकी धमक हो गई. आज टाटा ग्रुप घर की रसोई में इस्तेमाल होने वाले नमक से लेकर आसमान में हवाई जहाज से सफर तक के दौरान अपनी मौजूदगी रखता है.
विमान उड़ाना और पियानो बजाने का था शौक
रतन टाटा बेहद सदा जीवन जीते थे, लेकिन उन्हें कई चीजों का शौक भी था. इनमें पियानो बजाना भी शामिल है. इसके साथ ही विमान उड़ाना भी उनकी फेवरेट लिस्ट में सबसे ऊपर था. Tata Sons से अपने रिटायरमेंट के बाद रतन टाटा ने कहा था कि अब मैं अपना बाकी जीवन अपने शौक पूरे करना चाहता हूं. अब मैं पियानो बजाऊंगा और विमान उड़ाने के अपने शौक को पूरा करूंगा.